बरेली शहर आला हजरत के नाम से पूरी दुनिया में जाना जाता है.आला हजरत इस्लामी मुल्कों में दुनिया भर के सुन्नी मुसलामानों का प्रतिनिधित्व करते हैं .आला हजरत का मजार शरीफ बरेली के मुहल्ला सौदागारान में है .
यौन शिक्षा — पाश्चात्य राज्यों का अनुभव क्या कहता है ?? विद्यालयों में यौन शिक्षा देने के पक्ष में बहुत लोग आजकल तर्क रख रहे हैं. लेकिन वे यह नजरंदाज कर रहे है कि जिन देशों में दशाब्दियों से यौन शिक्षा दी जा रही है वहां इसका क्या परिणाम हुआ. हम सब एक वैज्ञानिक युग में जी रहे हैं. यहां कोई भी व्यक्ति एक प्रस्ताव या सिद्धांत पेश कर सकता है. लेकिन वह सिद्दांत तभी सही समझा जायगा जब परीक्षण की कसौटी पर वह सिद्ध हो जाये. यदि कोई प्रस्ताव परीक्षण में गलत निकलता है तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मांग है कि उस प्रस्ताव को एकदम त्याग दिया जाए. यौन शिक्षा की अवधारणा 1912 में संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली बार औपचारिक रूप से रखी गई थी, लेकिन ईसाई समुदाय के घोर विरोध के कारण इसे सरकार ने स्वीकार नहीं किया. बढते हुए यौन रोगों के कारण अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग ने 1940 मे पुन: यह मांग दुहराई, लेकिन परिणाम कुछ नहीं हुआ. अंतत: 1953 में अमेरिकन स्वास्थ्य विभाग ने एवं स्कूली शिक्षा के कुछ परिवर्तनवादियों ने 5 लघु पुस्तिकाओं की सहायता से वहां दुनियां की पहली औपचारिक शालेय यौनशिक्षा शुरू की. इससे प्रेरणा लेकर जल्दी ही लगभग सभी विकसित पश्चिमी राज्यों ने यौन शिक्षा को स्कूली पठन का अनिवार्य अंग बना दिया. विद्यालयों में यौन शिक्षा देने के पीछे मुख्य तर्क यह था कि इससे जवानों में कुंठा कम होगी, मुक्त यौनाचार कम होगा, यौन अपराध कम होंगे, यौन रोग कम होंगे, एवं विवाहित जीवन में सफलता का प्रतिशत बढेगा. किसी भी परीक्षण के लिये 50 साल कम नहीं होते, खास कर जब यह परीक्षण कम से कम 25 राज्यों में किया जा रहा हो. पचास साल के प्रयोग का परिणाम क्या है? हम अमेरिका का ही उदाहरण ले लें. वहां देखते हैं 1. विद्यालयों मे यौनशिक्षा प्राप्त करने के बाद आपसी यौनाचार हर साल बढता जा रहा है, एवं 12 से 15 साल की लडकियां धडल्ले से ऐसी संतानों को जन्म दे रही है जिनके बाप का कोई पता नहीं है क्योंकि ऐसी अधिकतर लडकियों के एक से अधिक लडकों से यौन संबंध है. 2. मुक्त यौनाचार का प्रतिशत हर साल बढता जा रहा है. 3. ताज्जुब की बात यह है कि मुक्त यौनाचार के बढने के बावजूद लोगों की भडकी हुई यौनेच्छायें तृप्त नहीं हो रही है, एवं इस कारण उस देश में वेश्यावृत्ति, बलात्कार एवं लडकियों का अपहरण बढ रहा है. 4. यौन रोगियों की संख्या आसमान छू रही है. स्वास्थ्य विभाग हैरान है. 5. यौन अपराध तेजी से बढ रहे है यदि अमेरिका एवं यूरोप में पचास साल की शालेय यौन शिक्षा की उपलब्धि यह है, तो सवाल यह है कि हिन्दुस्तान को इसकी क्या जरूरत है. हिन्दुस्तान में यौन अपराधियों की एवं यौन रोगों की कमी है क्या जो हमें पाश्चात्य यौन शिक्षा के सहारे इनका आयात भी करना पडे. शालेय यौन-शिक्षा पूरी तरह से असफल एक पश्चिमी अवधारणा है जिसने पश्चिम को बर्बाद कर दिया है अत: इसकी जरूरत हिन्दुस्तान को नहीं है